Om Namah Shivay

Om Namah Shivay: रचा टीवी इतिहास, रामायण-महाभारत के बाद शिव भक्ति में डुबो दिया था पूरा देश

Ramayanaऔर महाभारतके बाद Om Namah Shivayबना देश का सबसे प्रभावशाली धार्मिक धारावाहिक


1980 और 90 के दशक में भारतीय टीवी पर धार्मिक धारावाहिकों का स्वर्णिम युग था। Ramayan (1987) और Mahabharat (1988) जैसे ऐतिहासिक शोज़ ने करोड़ों भारतीयों की आस्था को गहराई से छुआ। लेकिन, इन महाकाव्यों के बाद जो धारावाहिक दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गया, वह था Om Namah Shivay। 1997 में शुरू हुआ यह धारावाहिक सिर्फ एक शो नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन गया था। हर रविवार को लोग शिव भक्ति में लीन हो जाते थे और यह शो उस दौर का एक सांस्कृतिक आंदोलन बन गया था।

Om Namah Shivayने घर-घर में पहुंचाई शिव कथा, 205 एपिसोड्स ने रचा इतिहास


निर्देशक Dheeraj Kumar द्वारा बनाए गए Om Namah Shivay ने भगवान शिव की महिमा और लीलाओं को जिस शुद्धता और भव्यता से प्रस्तुत किया, वह आज भी एक मिसाल है। इस धारावाहिक का प्रसारण 1997 से 1999 तक दूरदर्शन पर हुआ था और इसके कुल 205 एपिसोड्स प्रसारित हुए। शो में Shiv Bhakti को पंचमुखी शिव, अघोरी रूप, तांडव और पार्वती विवाह जैसी दिव्य कथाओं के जरिए इतनी प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया कि दर्शक हर एपिसोड को श्रद्धा और भक्ति के साथ देखते थे। IMDb पर इस शो को 10 में से 8.0 की उच्च रेटिंग प्राप्त हुई है, जो इसकी लोकप्रियता और गुणवत्ता को दर्शाता है।

समर जय सिंह बने भगवान शिव’, उनके अभिनय ने दर्शकों को बना दिया भक्त


इस ऐतिहासिक धारावाहिक में भगवान शिव का किरदार निभाने वाले Samar Jai Singh रातों-रात घर-घर में पूजे जाने लगे। जिस तरह Arun Govil को लोग राम के रूप में और Nitish Bharadwaj को कृष्ण के रूप में पूजने लगे थे, उसी तरह समर जय सिंह को दर्शकों ने भगवान शिव का स्वरूप मान लिया। समर जय सिंह का जन्म 26 सितंबर 1966 को इंदौर में हुआ था। पेशे से डॉक्टर पिता और गृहिणी मां के बेटे समर ने मुंबई के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ लॉ से शिक्षा प्राप्त की, लेकिन किस्मत उन्हें अभिनय की दुनिया में ले आई। हालांकि उन्हें टीवी पर प्रसिद्धि मिली, लेकिन फिल्मी दुनिया में उनका प्रवेश सीमित ही रहा।

Om Namah Shivay

Om Namah Shivayने पौराणिक धारावाहिकों की परंपरा को पुनर्जीवित किया, आज भी कायम है असर


Om Namah Shivay न केवल एक धारावाहिक था बल्कि यह भारतीय टीवी पर पौराणिक कथाओं की गरिमा को पुनर्जीवित करने वाला शो था। इसकी कथावस्तु, संवाद, संगीत और चित्रण इतने प्रभावी थे कि दर्शक हाथ जोड़कर टीवी के सामने बैठ जाते थे। इस शो ने ‘Ramayan’ और ‘Mahabharat’ के बाद धार्मिक television content में जो प्रभाव पैदा किया, वह आज तक प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। नयी पीढ़ी के दर्शक भी आज digital platforms पर इस धारावाहिक को देखकर Shiv Bhakti की गहराई में डूब जाते हैं।

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