मोरेना, मध्य प्रदेश | 14 जुलाई, 2025
मध्य प्रदेश के मोरेना जिले में वन्यजीव तस्करी के खिलाफ एक बड़ी सफलता मिली है। विशेष बाघ हमला बल (एसटीएसएफ) और वन विभाग की संयुक्त टीम ने एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए शनिवार देर रात जौरा के पास एक वाहन को रोका। जांच में उसमें से 30 घड़ियाल के बच्चे और 14 दुर्लभ प्रजाति के ‘रेड-क्राउन रूफ्ड टर्टल’ (लाल मुकुट वाले कछुए) बरामद किए गए, जिन्हें अवैध रूप से ले जाया जा रहा था।
पकड़े गए तीन आरोपियों की पहचान उत्तर प्रदेश और ग्वालियर के रहने वालों के रूप में हुई है। अधिकारियों ने बताया कि ये आरोपी एक बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क से जुड़े हुए हैं, जिसका जाल भारत की सीमाओं से आगे दक्षिण-पूर्वी एशिया तक फैला है। अनुमान है कि इन जीवों को बांग्लादेश, म्यांमार और चीन के काले बाजारों में बेचने के लिए भूमिगत रास्तों से ले जाया जा रहा था।
रविवार सुबह ग्वालियर में की गई एक और छापेमारी में कुछ और कछुए बरामद किए गए, जिनमें कई थ्री-स्ट्राइप्ड रूफ्ड टर्टल (तीन धारियों वाले छतदार कछुए) शामिल थे। इस तरह कुल 66 दुर्लभ और संरक्षित जलीय जीव तस्करों से बचाए जा सके।
ये सभी जीव भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर IUCN (अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ) द्वारा अत्यधिक दुर्लभ और संरक्षण हेतु चिन्हित प्रजातियों की सूची में दर्ज हैं।
अधिकारियों का मानना है कि इस कार्रवाई से दुर्लभ जलीय जीवों की अवैध शिकार और तस्करी में लिप्त एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। बरामद किए गए सभी जीवों को वन्यजीव पुनर्वास केंद्र में चिकित्सा देखभाल दी जाएगी और फिर उन्हें उनके प्राकृतिक आवास चंबल नदी में वापस छोड़ा जाएगा, जो घड़ियाल और कछुओं के लिए एक प्रमुख संरक्षण क्षेत्र है।
वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षण कार्यकर्ताओं ने इस त्वरित कार्रवाई की सराहना की है और चंबल बेसिन को भारत में नदी आधारित प्रजातियों का अंतिम सुरक्षित ठिकाना बताया है। यह ऑपरेशन मध्य प्रदेश के कानून प्रवर्तन और वन विभाग की प्राकृतिक धरोहर की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।