वन्यजीवन संरक्षण की प्रतीक बनीं वत्सला, पन्ना टाइगर रिजर्व में शांति से ली अंतिम सांस
मध्य प्रदेश: एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला का 8 जुलाई 2025 को मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में निधन हो गया। 100 वर्ष की उम्र पार कर चुकी वत्सला ने रिजर्व के संरक्षण शेड में शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली। वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए यह खबर गहरे दुख का कारण बनी है।
वत्सला को मूल रूप से केरल से लाकर मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम में रखा गया था, और बाद में वह पन्ना टाइगर रिजर्व का स्थायी हिस्सा बन गईं। वह न केवल पर्यटकों की पसंदीदा रहीं, बल्कि वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी एक स्नेहिल साथी थीं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वत्सला को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बढ़ती उम्र के चलते वत्सला को लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं, लेकिन उनका अंत शांति से हुआ।
वत्सला, जो लंबे समय तक हाथियों के झुंड की अगुवाई करती रहीं, अपने पीछे सिर्फ एक स्मृति नहीं, बल्कि वन्यजीवों के प्रति करुणा और देखभाल की एक गहरी सोच छोड़ गई हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ अब वृद्ध हाथियों की देखरेख और उनके लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
वत्सला की स्मृति में पन्ना टाइगर रिजर्व ने घोषणा की है कि अब युवाओं के बीच हाथी संरक्षण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ वन्यजीवों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति संवेदनशील बन सकें।
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